केरल सरकार ने मलयालम फिल्म पर हेमा समिति रिपोर्ट जारी की
केरल सरकार ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव और यौन शोषण पर हेमा समिति की रिपोर्ट जारी की, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
केरल सरकार ने सोमवार को मलयालम फिल्म उद्योग में महिला कलाकारों की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए गठित न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट जारी कर दी। रिपोर्ट की जानकारी जारी करने का निर्णय केरल उच्च न्यायालय द्वारा अभिनेत्री रंजिनी द्वारा दायर की गई अपील को खारिज करने के बाद लिया गया। यह अपील एकल न्यायाधीश की पीठ के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें रिपोर्ट के जारी होने की अनुमति दी गई थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट 2019 में सरकार को सौंपी थी, लेकिन रिपोर्ट की जानकारी को संवेदनशील मानते हुए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। हाल ही में राज्य सूचना आयोग ने 5 जुलाई को राज्य सार्वजनिक सूचना अधिकारी (SPIO) को निर्देश दिया कि वह रिपोर्ट की जानकारी को इस तरह से जारी करें जिससे किसी की गोपनीयता प्रभावित न हो।
यह समिति 2017 में अभिनेत्री के साथ हुए हमले के मामले के बाद बनाई गई थी, जिसमें अभिनेता दिलीप भी शामिल थे। इसका उद्देश्य मलयालम सिनेमा उद्योग में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करना था। समिति ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, लेकिन रिपोर्ट में कई महिलाओं द्वारा गोपनीयता बनाए रखने की मांग के कारण सरकार ने कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया और रिपोर्ट को सार्वजनिक भी नहीं किया।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण और भेदभाव को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को फिल्मों में उनकी सहमति के बिना शरीर का प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया जाता है। फिल्म सेट पर उन्हें बुनियादी सुविधाएं और भोजन भी सही ढंग से नहीं मिलता और वेतन में भी भेदभाव किया जाता है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मलयालम फिल्म उद्योग कुछ 'आपराधिक माफियाओं' के शिकंजे में है, जिनमें कई अभिनेता, निर्माता और निर्देशक शामिल हैं। यहां तक कि महिला निर्माता भी उत्पीड़न का शिकार होती हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिल्मों में 'आइटम सॉन्ग' का इस्तेमाल केवल महिलाओं को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि आंतरिक शिकायत समिति जैसी प्रणालियाँ प्रभावी नहीं होंगी और फिल्म उद्योग में महिलाओं की शिकायतों के निवारण के लिए एक सरकारी नियंत्रित तंत्र की आवश्यकता है।
प्रतिक्रियाएँ:
संस्कृति मामलों के मंत्री साजी चेरियन ने कहा कि सरकार फिल्म और धारावाहिक उद्योगों में समस्याओं पर चर्चा के लिए एक सिनेमा कॉन्क्लेव आयोजित करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अब तक रिपोर्ट को इसलिए सार्वजनिक नहीं किया क्योंकि राज्य सूचना आयोग ने पहले निर्देश दिया था कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि फिल्म उद्योग में किसी भी महिला से सीधे तौर पर उत्पीड़न की कोई विशेष शिकायत नहीं मिली है, सिवाय उन सामान्य मुद्दों के जो महिला सिनेमा सामूहिक द्वारा उठाए गए हैं। अगर कोई महिला शिकायत दर्ज कराती है, तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।